Tuesday 22 November 2016

क्यो जरुरी है पूजा में भगवान का चित्र..

पूजा में भगवान के चित्र का महत्व
कई संतों ने अपने अनुभवानुसार और समयानुरूप, साकार और निराकार ईश्वर पर अपने मत रखे हैं। सत्य तो यही है कि परम निराकार चेतना ही प्रकृतिरूप में समस्त साकार रूप को व्यक्त करती है; कुछ उसी प्रकार जैसे हमारी मानवीय चेतना स्वप्न में साकार जगत का निर्माण कर देती है। साकार मूलतः निराकार है, उससे पृथक कदापि नही। साकार से विमुखता, आध्यात्मिक भटकाव और इंद्रियजन्य दिशाहीनता का कारण है।
चित्रण आम मनुष्य के हेतु आवश्यक है, क्योंकि:
(1) निराकार मन को साकार रूप की सहायता से सहज एकाग्र किया जा सकता है
(2)
साकार रूप वह पायदान है जो निराकार के शिखर पर पहुँचाता है
(3)
साकार ईश्वर का अनादर कर निराकार प्राप्त नही किया जा सकता
(4)
मनुष्य को साकार चितंन (धारणा) द्वारा ही अचिन्तनीय साम्राज्य (ध्यान-समाधि) में प्रवेश मिलता है
(5)
स्थूलजगत में रहकर स्थूल की सहायता से सूक्ष्म की ज्ञानप्राप्ति होती है
(6)
सरल मार्ग दरकिनार कर, कठिन मार्ग से लक्ष्यभेदन में देरी, बुद्धिमता नही है
(7)
भावरूपी शक्ति का त्वरित विकास, साकार रूप से संभव होता है
विडंम्बना तब है, जब मनुष्य अपने मन की गति न समझकर चित्रण का उद्देश्य भूलकर मनोदशा का विकास नही करता है और स्थूल में खोकर जीवन व्यय कर देता है। इसी कारण कई गुरुजन, शिष्यों को अपना चित्र तक नही रखने देते।

आइये यह ठान लें कि मूर्तरूप की प्रासंगिकतानुरूप, मनोवृत्ति निरोध के मार्ग का अनुकरण करेंगे।

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