मार्गदर्शक चिंतन-भविष्य
का भय सदैव केवल उनके लिए सताता
है जो वर्तमान में भी संतुष्ट
नहीं। जिस व्यक्ति को वर्तमान
में संतुष्ट रहना आ गया फिर
ऐसा कोई दूसरा कारण ही नहीं
कि उसे भविष्य की चिंता करनी
पड़े।
हमारे जीवन की सारी प्रतिस्पर्धाएँ कवेल वर्तमान जीवन के प्रति हमारी असंतुष्टि को ही दर्शाती हैं। व्यक्ति जितना संतोषी होगा उसकी प्रतिस्पर्धाएँ भी उतनी ही कम होंगी। अक्सर लोग़ भविष्य को सुखमय बनाने के पीछे वर्तमान को दुखमय बना देते हैं।
लेकिन तब वो जीवन के इस शाश्वत नियम को भी भूल जाते हैं कि भविष्य कभी नहीं आता, वह जब भी आयेगा वर्तमान बनकर ही आयेगा। याद रखना जिया सदैव वर्तमान में ही जाता है। अत: वर्तमान के भाव मे जियो ताकि भविष्य का भय मिट सके।
हमारे जीवन की सारी प्रतिस्पर्धाएँ कवेल वर्तमान जीवन के प्रति हमारी असंतुष्टि को ही दर्शाती हैं। व्यक्ति जितना संतोषी होगा उसकी प्रतिस्पर्धाएँ भी उतनी ही कम होंगी। अक्सर लोग़ भविष्य को सुखमय बनाने के पीछे वर्तमान को दुखमय बना देते हैं।
लेकिन तब वो जीवन के इस शाश्वत नियम को भी भूल जाते हैं कि भविष्य कभी नहीं आता, वह जब भी आयेगा वर्तमान बनकर ही आयेगा। याद रखना जिया सदैव वर्तमान में ही जाता है। अत: वर्तमान के भाव मे जियो ताकि भविष्य का भय मिट सके।
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