कैसे वश में होगा चंचल मन...
अगर मन को वश मे करना है तो मन के आगे ओर पीछे 'न' शब्द लगा दो--
मन के आगे- पीछे ' न ' शब्द लगाने पर हमे दो शब्द प्राप्त होंगे-- ★नमन ओर मनन★
मन अगर वश मे करना है तो या तो बांके बिहारी को ह्रदय से नमन करते रहो या फिर बांकेबिहारी की लीलाओ का मनन करते रहो-मन वश मे हो जाएगा-- कथाओ लीलाओ का मनन करने का अर्थ यह है की जो कुछ भी कथाओ से हमे सूत्र प्राप्त हो उनपर मनन करते हूए जीवन मे धारण करना है--ओर ईस तरह बार बार अभ्यास से मन वश मे हो जाएगा-- भक्तिमार्ग मे मन का वश मे करना बहुत आवश्यक है क्योकि मन अगर वश मे नही हूआ तो मन बार-बार माया की तरफ लेकर जाएगा ओर फिर भगवान मे मन अनन्यभाव से नही लग पाएगा-- गीता मे भी अर्जुन ने भगवान से पुछा था की प्रभु मन बहुत चंचल है ,ईसे वश मे कैसे किया जाए??-- तो भगवान ने कहा की - "अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते"-- भगवान ने कहा की बार बार अभ्यास ओर वैराग्य से मन वश मे हो जाता है-- ईसलिए मन को वश मे करने के लिए बार बार भगवान को नमन ओर भगवान की लीलाओ कथाओ का मनन करते रहो--भगवान को ह्रदय से प्रणाम करने की बहूत महिमा है--यमराज जी अपने यमदूतो से भागवत मे कहते है की" कृष्णाय नो नमति यच्छिर एकदापि " अर्थात् जिसने एक बार भी कृष्ण को ह्रदय से नमन नही किया एसे पापी व्यक्ति को मेरे पास जरुर लाना- ओर स्कन्दपुराण मे लिखा है की -
"शाठ्येपि नमस्कारं कुर्वत: शार्ङ्गधन्विने --शतजन्मार्जितं पापं तत्क्षणादेव नश्यति" -- अर्थात् जो शठतापुर्वक भी बांकेबिहारी को प्रणाम करता है तो उसके सौ जन्मो के संञ्चित पापो का नाश हो जाता है--ईसलिए नमन ओर मनन ये निरंतर जीवन मे करते रहना चाहिये-- बोलिए श्रीमद्भागवत महापुराण की जय-- सद्गुरुदेव भगवान की जय-- जय जय श्री राधे
अगर मन को वश मे करना है तो मन के आगे ओर पीछे 'न' शब्द लगा दो--
मन के आगे- पीछे ' न ' शब्द लगाने पर हमे दो शब्द प्राप्त होंगे-- ★नमन ओर मनन★
मन अगर वश मे करना है तो या तो बांके बिहारी को ह्रदय से नमन करते रहो या फिर बांकेबिहारी की लीलाओ का मनन करते रहो-मन वश मे हो जाएगा-- कथाओ लीलाओ का मनन करने का अर्थ यह है की जो कुछ भी कथाओ से हमे सूत्र प्राप्त हो उनपर मनन करते हूए जीवन मे धारण करना है--ओर ईस तरह बार बार अभ्यास से मन वश मे हो जाएगा-- भक्तिमार्ग मे मन का वश मे करना बहुत आवश्यक है क्योकि मन अगर वश मे नही हूआ तो मन बार-बार माया की तरफ लेकर जाएगा ओर फिर भगवान मे मन अनन्यभाव से नही लग पाएगा-- गीता मे भी अर्जुन ने भगवान से पुछा था की प्रभु मन बहुत चंचल है ,ईसे वश मे कैसे किया जाए??-- तो भगवान ने कहा की - "अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते"-- भगवान ने कहा की बार बार अभ्यास ओर वैराग्य से मन वश मे हो जाता है-- ईसलिए मन को वश मे करने के लिए बार बार भगवान को नमन ओर भगवान की लीलाओ कथाओ का मनन करते रहो--भगवान को ह्रदय से प्रणाम करने की बहूत महिमा है--यमराज जी अपने यमदूतो से भागवत मे कहते है की" कृष्णाय नो नमति यच्छिर एकदापि " अर्थात् जिसने एक बार भी कृष्ण को ह्रदय से नमन नही किया एसे पापी व्यक्ति को मेरे पास जरुर लाना- ओर स्कन्दपुराण मे लिखा है की -
"शाठ्येपि नमस्कारं कुर्वत: शार्ङ्गधन्विने --शतजन्मार्जितं पापं तत्क्षणादेव नश्यति" -- अर्थात् जो शठतापुर्वक भी बांकेबिहारी को प्रणाम करता है तो उसके सौ जन्मो के संञ्चित पापो का नाश हो जाता है--ईसलिए नमन ओर मनन ये निरंतर जीवन मे करते रहना चाहिये-- बोलिए श्रीमद्भागवत महापुराण की जय-- सद्गुरुदेव भगवान की जय-- जय जय श्री राधे
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