Monday 7 November 2016

चंचल मन को वश में करने का महाउपाय..

कैसे वश में होगा चंचल मन...

अगर मन को वश मे करना है तो मन के आगे ओर पीछे '' शब्द लगा दो--
मन के आगे- पीछे ' ' शब्द लगाने पर हमे दो शब्द प्राप्त होंगे-- ★नमन ओर मनन★
मन अगर वश मे करना है तो या तो बांके बिहारी को ह्रदय से नमन करते रहो या फिर बांकेबिहारी की लीलाओ का मनन करते रहो-मन वश मे हो जाएगा-- कथाओ लीलाओ का मनन करने का अर्थ यह है की जो कुछ भी कथाओ से हमे सूत्र प्राप्त हो उनपर मनन करते हूए जीवन मे धारण करना है--ओर ईस तरह बार बार अभ्यास से मन वश मे हो जाएगा-- भक्तिमार्ग मे मन का वश मे करना बहुत आवश्यक है क्योकि मन अगर वश मे नही हूआ तो मन बार-बार माया की तरफ लेकर जाएगा ओर फिर भगवान मे मन अनन्यभाव से नही लग पाएगा-- गीता मे भी अर्जुन ने भगवान से पुछा था की प्रभु मन बहुत चंचल है ,ईसे वश मे कैसे किया जाए??-- तो भगवान ने कहा की - "अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते"-- भगवान ने कहा की बार बार अभ्यास ओर वैराग्य से मन वश मे हो जाता है-- ईसलिए मन को वश मे करने के लिए बार बार भगवान को नमन ओर भगवान की लीलाओ कथाओ का मनन करते रहो--भगवान को ह्रदय से प्रणाम करने की बहूत महिमा है--यमराज जी अपने यमदूतो से भागवत मे कहते है की" कृष्णाय नो नमति यच्छिर एकदापि " अर्थात् जिसने एक बार भी कृष्ण को ह्रदय से नमन नही किया एसे पापी व्यक्ति को मेरे पास जरुर लाना- ओर स्कन्दपुराण मे लिखा है की -
"
शाठ्येपि नमस्कारं कुर्वत: शार्ङ्गधन्विने --शतजन्मार्जितं पापं तत्क्षणादेव नश्यति" -- अर्थात् जो शठतापुर्वक भी बांकेबिहारी को प्रणाम करता है तो उसके सौ जन्मो के संञ्चित पापो का नाश हो जाता है--ईसलिए नमन ओर मनन ये निरंतर जीवन मे करते रहना चाहिये-- बोलिए श्रीमद्भागवत महापुराण की जय-- सद्गुरुदेव भगवान की जय-- जय जय श्री राधे

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