मार्गदर्शक चिंतन-जीवन
को केवल तमन्ना में ही मत जिओ
अपितु इसे तन्मयता के साथ जीने
की आदत भी बनाओ। जो लोग केवल
तमन्नाओं में जिया करते हैं
यह जिन्दगी उनकी नासमझी पर
हंसा करती है। एक इच्छा पूरी
नहीं हुई कि उससे पहले और अनेक
इच्छाओं का जन्म होना ही तमन्ना
में जीना है।
तन्मयता में जीना अर्थात अपने द्वारा संपन्न प्रत्येक कार्य को पूर्ण निष्ठा के साथ सावधानी पूर्वक इस प्रकार करना कि कर्म ही पूजा और आत्म संतुष्टि ही परिणाम बन जाए।
तन्मयता के कारण ही एकलव्य अर्जुन से भी आगे निकल गया और केवल तमन्ना के कारण ही दुर्योधन को कुलनाशक होना पड़ा। अतः तमन्ना नाश का कारण और तन्मयता ही जीवन के विकास का कारण है।
तन्मयता में जीना अर्थात अपने द्वारा संपन्न प्रत्येक कार्य को पूर्ण निष्ठा के साथ सावधानी पूर्वक इस प्रकार करना कि कर्म ही पूजा और आत्म संतुष्टि ही परिणाम बन जाए।
तन्मयता के कारण ही एकलव्य अर्जुन से भी आगे निकल गया और केवल तमन्ना के कारण ही दुर्योधन को कुलनाशक होना पड़ा। अतः तमन्ना नाश का कारण और तन्मयता ही जीवन के विकास का कारण है।
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