Sunday 6 November 2016

सत्य का मार्ग कठिन है..लेकिन वही राजपथ है...

मार्गदर्शक चिंतन-

सत्य का अर्थ शांति का मार्ग नहीं शाश्वत का मार्ग है। जिसे सुख और शांति की चाहना है, वह भूलकर भी सत्य का वरण नहीं कर सकता क्योंकि सत्य का मार्ग अवश्य ही एक राजपथ है मगर ऐसा राजपथ, जिसमे पग-पग पर विरोध और अवरोध के नुकीले काँटों की भरमार है।
एक बात और जिसके जीवन में मान और सम्मान की इच्छा हो उसके लिए सत्य का मार्ग सदैव बंद ही समझो क्योंकि एक सत्य के पथिक को पग - पग पर अपमान व सामाजिक व्यंग्य के सिवाय और मिलता ही क्या है ?जिसे मीरा की तरह जहर पीना और कबीर की तरह कटुता में जीना आ गया, वही सत्य के मार्ग का सच्चा पथिक है और उसी को निश्चित ही साश्वत् की उपलब्धि भी है। अतः साश्वत् तक पहुँचाने वाले मार्ग का नाम ही तो सत्य है।

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