भजन
क्या है?
कुछ
लोग कहते हैं -
हमने
इतनी देर पाठ किया,
जप
किया,
इतनी
देर स्तुति किया,
वो
भजन नहीं है,
वो
तो नियम पूर्ति है |
भजन
वह है जो २४ घंटे चलता रहे |गीता
में भगवान् ने कहा कि हर समय
मन पर नजर रखो –
यतो
यतो निश्चरति मनश्चञ्चलमस्थिरम्
|
ततस्ततो
नियम्यैतदात्मन्येव वशं
नयेत् ||
(गी.
६/२६)
मन
जहाँ-जहाँ
बाहर निकलता है,
इसका
स्वभाव है बाहर निकलने का
क्योंकि चंचल है |
बहुत
ज्यादा चलता है बैठ नहीं सकता,
उसे
चंचल कहते हैं |
उस
अपने मन को देखना-
बाहर
कहाँ जा रहा,
लड्डू
पेड़ा में,
कि
भोगों में,
कि
किसी की याद में,
यह
मन विषयों में जाता या जहाँ
लगाव होता वहाँ जाता है |
जहाँ-जहाँ
मन जाता है,
वहाँ-वहाँ
से रोको,
बस
यही है भजन |
अपने
वश में उसे ले आओ |
इस
तरह उसकी चंचलता,
अस्थिरता
मिटेगी |
लोग
सोचते हैं हमने१ घंटा पाठ कर
लिया,
हो
गया भजन,
फिर
गप्प मार रहे,
वो
भजन नहीं है |१
क्षण भी मन को इधर-उधर
नहीं जाने देना चाहिए |
आज
हमारा सारा समाज तेजहीन क्यों
है?
क्योंकि
थोड़ी देर नियम किया फिर वही
गप्प लगाना,
ये
भजन नहीं है |
केवल
कपड़े बदल लेने से कुछ नहीं
होगा,
अगर
मन की एकाग्रता नहीं है तो कुछ
नहीं है |
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