Tuesday 8 November 2016

कैसे करें प्रभु का भजन..

भजन क्या है?
कुछ लोग कहते हैं - हमने इतनी देर पाठ किया, जप किया, इतनी देर स्तुति किया, वो भजन नहीं है, वो तो नियम पूर्ति है | भजन वह है जो २४ घंटे चलता रहे |गीता में भगवान् ने कहा कि हर समय मन पर नजर रखो –
यतो यतो निश्चरति मनश्चञ्चलमस्थिरम् |
ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत् ||
(गी. /२६)
मन जहाँ-जहाँ बाहर निकलता है, इसका स्वभाव है बाहर निकलने का क्योंकि चंचल है | बहुत ज्यादा चलता है बैठ नहीं सकता, उसे चंचल कहते हैं | उस अपने मन को देखना- बाहर कहाँ जा रहा, लड्डू पेड़ा में, कि भोगों में, कि किसी की याद में, यह मन विषयों में जाता या जहाँ लगाव होता वहाँ जाता है | जहाँ-जहाँ मन जाता है, वहाँ-वहाँ से रोको, बस यही है भजन | अपने वश में उसे ले आओ | इस तरह उसकी चंचलता, अस्थिरता मिटेगी | लोग सोचते हैं हमने१ घंटा पाठ कर लिया, हो गया भजन, फिर गप्प मार रहे, वो भजन नहीं है |१ क्षण भी मन को इधर-उधर नहीं जाने देना चाहिए | आज हमारा सारा समाज तेजहीन क्यों है? क्योंकि थोड़ी देर नियम किया फिर वही गप्प लगाना, ये भजन नहीं है | केवल कपड़े बदल लेने से कुछ नहीं होगा, अगर मन की एकाग्रता नहीं है तो कुछ नहीं है |


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