धार्मिक
कार्यों में मौलि (
कलावा)
क्यों
बांधते हैं?
किसी
भी शुभ कार्य से पहले जैसे कोई
पूजा -
अनुष्ठान
,
गृह
प्रवेश ,दीपावली
की पूजा या अन्य कोई भी पूजन
सर्वप्रथम पंडित जी यजमान
(यज्ञमान)
को
तिलक करते हैं और मौली बंधते
हैं फिर पूजा आरम्भ होती है
!
मौली बंधते वक़्त इस मंत्र का उच्चारण जाता है:-येन बद्धो बलीराजा दावेंद्रो महाबलः !तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचलमाचल !!ये प्रथा कब शुरू हुई और इसके महत्त्व के विषय में अनेक आख्यान शास्त्रों में मौजूद हैं !
मौली
बंधने की परंपरा तब सेचली आ
रही है,
जब
से महान ,
दानवीरों
में अग्रणी महाराज बलि की
अमरता के लिए वामन भगवान् ने
उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र
बांधा था !इसे
रक्षा कवच के रूप में भी शरीर
पर बांधा जाता है !
इन्द्र
जब वृत्रासुर से युद्ध करने
जा रहे थे तब इंद्राणी शची ने
इन्द्र की दाहिनी भुजा पर
रक्षा-कवच
के रूप में मौली को बाँध दिया
था और इन्द्र इस युद्ध में
विजयी हुए !.जिसका
अपना धार्मिक और वैज्ञानिक
महत्व है.
स्वास्थ्य
के अनुसार मौली-बंधनसे
वात पित्त और कफ तीनों का शरीर
में संतुलन बना रहता है और
शरीर नीरोग रहता है !साधारणतया
हम देखते हैं,कि
यदि कोई कर्मकांडी पुरोहित
जो कई दिनों तक चलने वाले
अनुष्ठान में हैं और दुर्भाग्यवश
उनके कुटुंब में किसी निकट
संबंधी की मृत्युहो जाती है
तो भी उनको "सूतक"का
दोष नहीं लगता है और वो अपना
अनुष्ठान निर्विघ्न पूरा कर
सकते हैं,क्योंकि
क्योंकि उनहोंने पूजन आरम्भ
होने पर बंधी जाने वाली मौली
बाँध रखी है!यानी
की मौली के प्रभाव से उसबड़े
अनुष्ठान पर बाधा ताल जातीहै
!
शास्त्रों
का ऐसा मत है कि मौलि बांधने
से त्रिदेव -
ब्रह्मा,
विष्णु
व महेश तथा तीनों देवियों-
लक्ष्मी,
पार्वती
व सरस्वती की कृपा प्राप्त
होती है.
ब्रह्मा
की कृपा से "कीर्ति",विष्णु
की अनुकंपा से "रक्षा
बल"मिलता
है तथा शिव "दुर्गुणों"
काविनाश
करते हैं.
इसी
प्रकार लक्ष्मी से "धन",
दुर्गा
से"शक्ति"
एवं
सरस्वती की कृपा से"बुद्धि"
प्राप्त
होती है.
शरीर
विज्ञान की द्रष्टि से मौली
का महत्व
शरीर
विज्ञान की दृष्टि से अगर देखा
जाए तो मौलि बांधना उत्तम
स्वास्थ्य भी प्रदान करती
है.
चूंकि
मौलि बांधने से त्रिदोष-
वात,
पित्त
तथा कफ का शरीर में सामंजस्य
बना रहता है.
शरीर
की संरचना का प्रमुख नियंत्रण
हाथ की कलाई में होता है,
अतः
यहां मौली बांधने से व्यक्ति
स्वस्थ रहता है.ऐसी
भी मान्यता है कि इसे बांधने
से बीमारी अधिक नहीं बढती है.
ब्लड
प्रेशर,
हार्ट
एटेक,
डायबीटिज
और लकवा जैसे रोगों से बचाव
के लिये मौली बांधना हितकर
बताया गया है.
मौली
शत प्रतिशत कच्चे धागे (सूत)
की
ही होनी चाहिये.
मौलि
बांधने की प्रथा तब से चली आ
रही है जब दानवीर राजा बलि के
लिए वामन भगवान ने उनकी कलाई
पर रक्षा सूत्र बांधा था.शास्त्रों
में भी इसका इस श्लोकके माध्यम
से मिलता है -"
येन
बद्धो बलीराजा दानवेन्द्रो
महाबल:तेन
त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल
मा चल"..इस
मंत्र का सामान्यत:
यह
अर्थ लिया जाता है कि दानवों
के महाबली राजा बलि जिससे
बांधे गएथे,
उसी
से तुम्हें बांधता हूं.
हे
रक्षे!(रक्षासूत्र)
तुम
चलायमान न हो,
चलायमान
न हो.धर्मशास्त्र
के विद्वानों के अनुसार इसका
अर्थ यह है कि रक्षा सूत्र
बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहत
अपने यजमान को कहता है कि जिस
रक्षासूत्र से दानवों के
महापराक्रमी राजा बलि धर्म
के बंधन में बांधे गए थे अर्थात्
धर्म में प्रयुक्त किए गये
थे,
उसी
सूत्र से मैं तुम्हें बांधता
हूं,
यानी
धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता
हूं.इसके
बाद पुरोहित रक्षा सूत्र से
कहता है कि हे रक्षे तुम स्थिर
रहना,
स्थिर
रहना.
इस
प्रकार रक्षा सूत्र का उद्देश्य
ब्राह्मणों द्वारा अपने
यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित
एवं प्रयुक्त करना है.कभी
कभी मानव के लिए अशुभ ग्रहों
के कुप्रभाव जीवन में कष्ट
ले आते हैं.
इससे
पराजित होकर मनुष्य यत्र-तत्र
भटकता रहता है.
बड़े-बड़े
सेठ,
साहूकार
एवं सम्राटों के सुनहरे स्वप्न
छिन्न भिन्न हो जाते हैं.
जीवन
आकाश में दुखों के बादल छाए
रहते हैं.
इन्हीं
उलझनों से बचने के लिए रक्षासूत्र
सच्चे गुरु के द्वारा मंदिर
में प्रभु के आशीर्वाद से धारण
करना चाहिए.
मौली
कब और कैसे धारण करेपुरुषों
तथा अविवाहित कन्याओं के दाएं
हाथ में तथा विवाहित महिलाओं
के बाएं हाथ में मौली बांधा
जाता है.
जिस
हाथ में कलावा या मौली बांधें
उसकी मुट्ठी बंधी हो एवं दूसरा
हाथ सिर पर हो.
इस
पुण्य कार्य के लिए व्रतशील
बनकर उत्तरदायित्वस्वीकार
करने का भाव रखा जाए.पूजा
करते समय नवीन वस्त्रों केन
धारण किए होने पर मोली हाथ में
धारण अवश्य करना चाहिए.
धर्म
के प्रति आस्था रखें.
मंगलवार
या शनिवार को पुरानी मौली
उतारकर नई मोली धारण करें.
संकटों
के समय भी रक्षासूत्र हमारी
रक्षा करते हैं.
व्यापार
और घर में मौली का
प्रयोग-
वाहन,
कलम,
बही
खाते,
फैक्ट्री
के मेन गेट,
चाबी
के छल्ले,
तिजोरी
पर पवित्र मौली बांधने से लाभ
होता है,
महिलाये
मटकी,
कलश,
कंडा,
अलमारी,
चाबी
के छल्ले,
पूजा
घर में मौली बांधें या रखें.
मोली
से बनी सजावट की वस्तुएं घर
में रखेंगी तो नई खुशियां आती
है.नौकरी
पेशा लोग कार्य करने की टेबल
एवं दराज में पवित्र मौली रखें
या हाथ में मौली बांधेंगे तो
लाभ प्राप्ति की संभावना बढ़ती
है.
No comments:
Post a Comment