Wednesday 30 November 2016

क्या है जीवन आनंद का महामंत्र

मार्गदर्शक चिंतन-ऐसी बात नहीं है कि आदमी दुखों व क्लेशों से मुक्त नहीं होना चाहता हो। वह अतिशीघ्र इन द्वंदों से छुटकारा और जीवन में परिवर्तन चाहता है मगर मन बदलकर नहीं मन्त्र बदलकर। आज का आदमी हर समस्या के लिए मन्त्र चाहता है। 
मन्त्र में भी उसे ज्यादा विश्वास नहीं है मगर वो उस समाधान से बचना चाहता है जो यथार्थ में होना चाहिए। आदमी की चतुराई तो देखो, पूरा दिन बैठे- बैठे बात निकालकर निकाल देता है और फिर कहता फिरता है कि हमें कोई ऐसा मन्त्र या दवा बतादे जिससे दिन में भूख लग जाये और रात में नींद आ जाए।
इसका एक ही मन्त्र है और वो है " परिश्रम " उन लोगों से जाकर पता करो जो सड़क पर बड़ी गहरी नीद में सोते हैं। वो किसी मन्त्र का जप नही करते, उनका दिन भर का परिश्रम ही उनकी भूख व नींद का कारण है। अतः मन बदलने का प्रयास करो मन्त्र बदलने का नहीं।

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