Tuesday 27 December 2016

दूसरों की प्रशंसा करने से क्या लाभ होता है...

मार्गदर्शक चिंतन-

खुद की प्रशंसा सुनने के साथ-साथ दूसरों की प्रशंसा करने का अवसर कभी मत चूको। स्वयं की ज्यादा प्रशंसा सुनने से अहम् पैदा होता है और ज्यादा सम्मान प्रगति को अवरुद्ध भी कर देता है। 
भगवान् श्री कृष्ण का यही गुण था कि उन्हें अच्छाई शत्रु में भी नजर आती थी तो उसकी प्रशंसा करने से नहीं चूकते थे। कर्ण की दानशीलता और शूरता की कई बार उन्होंने समाज के सामने सराहना की। 
दूसरों की प्रशंसा से आपको उनका प्यार और सम्मान सहज में ही प्राप्त हो जाता है। राजा वलि की प्रशंसा करके भगवान् वामन ने तो तीन लोक सहज में प्राप्त कर लिए थे। तो क्या आप ढाई अक्षर का प्रेम प्राप्त नहीं कर सकते हो ?

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