Sunday 18 December 2016

विवेकानंद जी का संदेश..

मार्गदर्शक चिंतन-

जिस प्रकार आप किसी वस्तु को लेने बाजार जाते हो तो उसका एक उचित मूल्य अदा करने पर ही उसे प्राप्त करते हो। इसी प्रकार जीवन में भी हम जो प्राप्त करते हैं सबका कुछ ना कुछ मूल्य चुकाना ही पड़ता है।
विवेकानन्द जी कहा करते थे कि महान त्याग के बिना महान लक्ष्य को पाना संभव नहीं। अगर आपके जीवन का लक्ष्य महान है तो यह ख्याल तो भूल जाओ कि बिना त्याग और समर्पण के उसे प्राप्त कर लेंगे।
बड़ा लक्ष्य बड़े त्याग के बिना नहीं मिलता। कई प्रहार सहने के बाद पत्थर के भीतर छिपा हुआ ईश्वर का रूप प्रगट होता है। अगर चोटी तक पहुँचना है तो रास्ते के कंकड़ पत्थरों से होने वाले कष्ट को भूलना ही होगा।

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