Saturday 24 December 2016

असंतोष ही सभी दुखों की जड़ है..जानिए कैसे दूर होगा मन से असंतोष

मार्गदर्शक चिंतन-

संसार में सबसे ज्यादा दुखी कोई है तो वह असंतोषी है। असंतोष के कारण ही मानव पाप और निम्न आचरण करता है। जगत के सारे पदार्थ मिलकर भी मानव को सन्तुष्ट नहीं कर सकते, संतोष ही प्रसन्न रख सकता है।
एक बात तो बिलकुल जान लेना कि धन के बल पर पूरे संसार के भोगों को प्राप्त करने के बाद भी तुम अतृप्त ही रहोगे। रिक्तता , खिन्नता, विषाद, अशांति तुम्हारा पीछा ना छोड़ेगी। आशा का दास तो हमेशा निराश ही रहेगा। 
एक बार श्री कृष्ण पर विश्वास कर लोगे तो कुत्ते की तरह दर-दर नहीं भटकना पड़ेगा। अभाव में भी कृपा का अनुभव होगा और प्रत्येक क्षण आनन्द का अनुभव होगा। विषय के लिए नहीं वसुदेव के लिए जियो। और हाँ धन जीवन की आवश्यकता है उद्देश्य कदापि नहीं।

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