Monday 12 December 2016

क्या है सुख-दुख में मानवता धर्म..

मार्गदर्शक चिंतन

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दूसरों के दुखों में दुखी होना बहुत बड़ी बात नहीं है अपितु दूसरों की ख़ुशी में खुश होना बहुत बड़ी बात है। दूसरों के दुखों में आंसू बहाना, दूसरों की ख़ुशी में एक झूठी मुस्कान बिखेरने से ज्यादा आसान है।
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आज आदमी की मनोदशा यह हो गई है कि वह भले ही दूसरों के दुखों में संवेदना प्रकट कर भी दे मगर दूसरों की खुशियों में शामिल होना उसे कम अच्छा लगता है। पहले लोग बड़े खुश रहते थे क्योंकि दूसरों की ख़ुशी इन्हें अपनी ही मालूम होती थी। 

मगर आज का आदमी बड़ा ही दुखी रहता है क्योंकि अपनी ही ख़ुशी उसे उधार की लगती है। किसी के दुखों में आँसू बहा देना ही मानवता नहीं है अपितु किसी की ख़ुशी को देखकर ह्रदय में सच्ची प्रसन्नता का जन्म होना भी मानवता का लक्षण है।

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