Tuesday 13 December 2016

कैसे करें तर्क...किससे करें तर्क..

मार्गदर्शक चिंतन-

तर्क करना एक कमजोरी है और तर्क सहना सामर्थ्य है। तर्क जन्म ही वहाँ से लेते हैं जहाँ हम अपने आपको दूसरों से श्रेष्ठ समझने की भूल कर बैठते हैं। तर्क का अर्थ है दूसरों के सत्य को स्वीकार ना कर पाने की कमजोरी।
तर्कवादी का अर्थ ज्ञानी नहीं अपितु वो है जिसके अंदर दूसरों के ज्ञान के प्रति सम्मान नहीं। दूसरे के बातों और विचारों का अपनी वुद्धि के स्तर से अर्थ निकालना ही तर्कवादी का लक्षण है। तर्क से रिश्तों में फर्क आ जाता है और ज्यादा तर्क नर्क की ओर जाने का भी कारण बन जाता है।
भगवान महावीर कहते हैं कि अनेकांत में जीना सीख लो, आपके सारे तर्क स्वतः ही समाप्त हो जायेंगे। माना कि अन्धकार के बाद प्रकाश अवश्य होता है मगर केवल उनके लिए जिनके पास दृष्टि है और आँखे हैं।

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