मार्गदर्शक चिंतन-
वह आदमी जरूर महा अज्ञानी है, जो ऐसे हर सवाल का जबाब दे जो कि उससे पूछा ही न जाए। वास्तविक तौर पर ज्ञानी वही है जो केवल दूसरों की माँगी गयी सलाह पर ही सुझाव दे।
अक्सर व्यवहार में यह बात देखने को मिलती है कि प्रश्न किसी और से किया जाता है और उत्तर किसी और से सुनने को मिलता है। अथवा प्रश्न एक किया जाता है और उत्तर चार मिल जाते हैं। भारतीय दर्शन में यह शब्दों का अपव्यय कहलाता है।
जब शब्द ब्रह्म है, तो इसका अपव्यय करना कभी भी ज्ञानी का लक्षण नहीं हो सकता है। भगवान बुद्ध कहते हैं कम बोलना और काम का बोलना बस यही तो वाणी की तपस्चर्या है।
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