मार्गदर्शक चिंतन-
सत्य समझ लेना हमारे द्वारा किये गए कर्म ही हमारी अच्छाई का निर्माण करते हैं। जिस प्रकार चाहकर भी हम परछाई को अपने से अलग नहीं कर सकते ठीक इसी प्रकार हमारे द्वारा किये गए कर्म भी हमारा पीछा नहीं छोड़ते।
जिस प्रकार प्रकाश के अभाव में परछाई नहीं दिखती ऐसे ही अज्ञानान्धकार में हमें अपने कर्मों का परिणाम भी नजर नहीं आता। तब हम यह मान लेते है कि शायद हम कर्म फल से बच गए हैं।
जैसे प्रकाश हो जाने पर अदृश्य परछाई भी हमारे सामने उपस्थित हो जाती है। ठीक ऐसे ही ज्ञानरुपी दीपक जल जाने पर हमें विलुप्त अपना कर्म प्रभाव भी साफ-साफ नजर आने लग जाता है। हमारी परछाई हम ही को न डराएं और हमारे कर्म हम ही को न सताये इसके लिए आचरण अवश्य सुधार लेना।
No comments:
Post a Comment