Monday 23 October 2017

किसमें है सच्चा सुख...

मार्गदर्शक चिंतन-

पदार्थ सुख नहीं देते अपितु परमार्थ सुख देता है। सत्य समझना अगर पदार्थों में सुख होता तो जिनके पास पदार्थों के भण्डार भरे पड़े हैं, वे ही लोग दुनियां के सबसे सुखी लोग होते। सुदामा जैसे ब्राह्मण को भागवत ग्रन्थ कभी भी' प्रशान्त्तात्मा' जैसा शब्द प्रयोग नहीं करता।
यह इस दुनियां का एक सामान्य नियम है यहाँ जिसके पास वस्तु है वे उस वस्तु के बदले पैसा कमाना चाहते हैं और जिनके पास पैसा है वे भी पैसा देकर वस्तु को अर्जित करना चाहते हैं।
मतलब साफ है कि एक को पदार्थ विक्रय में सुख नजर आ रहा है तो दूसरे को उसी पदार्थ को क्रय करने में सुख नज़र आ रहा है। जबकि दोनों ही भ्रम में हैं, स्थायी सुख तो भगवद शरणागति में और त्याग में हैं। अतः अपने जीवन को परमार्थ वादी भी बनाओ केवल पदार्थवादी ही नहीं।

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