Thursday 5 October 2017

जानिए कैसे जिएं जिंदगी..

मार्गदर्शक चिंनत

जीवन जीने की दो शैलियाँ हैं। एक जीवन को उपयोगी बनाकर जिया जाए और दूसरा इसे उपभोगी बनाकर जिया जाए। जीवन को उपयोगी बनाकर जीने का मतलब है उस फल की तरह जीवन जीना जो खुशबू और सौंदर्य भी दूसरों को देता है और टूटता भी दूसरों के लिए हैं। 
अर्थात कर्म तो करना मगर परहित की भावना से करना। साथ ही अपने व्यवहार को इस प्रकार बनाना कि हमारी अनुपस्थिति दूसरों को रिक्तता का एहसास कराए। 
जीवन को उपभोगी बनाने का मतलब है उन पशुओं की तरह जीवन जीना केवल और केवल उदर पूर्ति ही जिनका एक मात्र लक्ष्य है। अर्थात लिवास और विलास ही जिनके जिन्दा रहने की शर्त हो। मानवता के नाते यह परमावश्यक हो जाता है कि जीवन केवल उपयोगी बने उपभोगी नहीं।

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