Saturday 7 October 2017

कैसे चलें अध्यात्म के पथ पर...

मार्गदर्शक चिंतन-

अध्यात्म मजबूरी से पकड़ा जाने वाला मार्ग नहीं अपितु मजबूती से पकड़ा जाने वाला मार्ग है। बहुधा लोगों द्वारा द्वारा यही सोचा जाता है कि अध्यात्म को मजबूर लोग पकड़ते हैं। मगर सच तो यह है कि अध्यात्म को मजबूत लोग पकड़ते हैं।
मजबूरी आपको मार्ग तो पकड़ा सकती है मगर लक्ष्य की प्राप्ति नहीं करा सकती क्योंकि लक्ष्य तक पहुँचने के लिए मजबूती की जरूरत होती है मजबूरी की नहीं।
अध्यात्म एक सागर है। भक्ति अध्यात्म की सैर करने वाली नौका है और प्रार्थना भक्ति नौका को अपने लक्ष्य की तरफ खींचने वाली पतवार है। लेकिन इस पतवार को चलाने की सामर्थ्य मजबूत हाथ ही रखते हैं मजबूर नहीं।

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