मार्गदर्शक चिंतन-
सहनशीलता का मतलब अपने से बलवान के सामने चुप रहना नहीं है अपितु प्रतिकार का पूर्ण सामर्थ्य रखते हुए भी चुप रहना, बस इसी का नाम सहनशीलता है।
अक्सर लोगों द्वारा अपने से सामर्थ्यवान के सामने झुक जाने को ही सहनशीलता समझी जाती है मगर जिसके सामने झुक जाना ही विकल्प हो अथवा जिसके साथ चाहकर भी कुछ न किया जा सके उसके सामने चुप हो जाना कभी भी सहनशीलता नहीं हो सकती।
सहनशीलता का मतलब ही बस इतना है कि आप में प्रत्युत्तर की पूर्ण क्षमता थी बावजूद इसके आप मौन हो गये। सहनशीलता केवल बाहर की क्रिया नहीं अपितु भीतर का भाव भी है। केवल क्रिया से ही नहीं अपितु भाव से भी तर्क शून्य हो जाना, इसी का नाम सहनशीलता है।
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