मार्गदर्शक चिंतन-
मरने के बाद जन्म न लेना मोक्ष नहीं अपितु जीते जी मोह में ना फँसना ही मोक्ष है। मोक्ष प्राप्ति के लिए मरना जरुरी नहीं मगर हाँ मोक्ष प्राप्ति के लिए वासनाओं को मारना आवश्यक है। मरने के बाद भला मोह और मोक्ष का क्या प्रयोजन ? इसको जीते जी ही अनुभव किया जा सकता है।
मोक्ष तो वास्तविक अर्थों में जीते जी ही घटित हो सकता है। मोक्ष तो जीवन आनंद के लिए ही है अन्यथा जीवन आनंद के अभाव में मोक्ष की कल्पना भी व्यर्थ है। शास्त्र कहते हैं कि मोह ही बंधन का कारण है और मोह का क्षय हो जाना ही मोक्ष है।
जिसे मोह से ऊपर जीना आ गया, नीचे पृथ्वी पर रहते हुए भी वह मुक्त ही है।
No comments:
Post a Comment