मार्गदर्शक चिंतन-
केवल आशीर्वाद से काम नहीं बना करते अपितु काम करने वालों को आशीर्वाद स्वयं मिल जाया करते हैं। प्रायःलोगों द्वारा यही बात कही जाती है कि हमें ऐसा आशीर्वाद दीजिये कि काम बन जाए मगर श्रेष्ठता तो इसी में है कि आप ऐसा काम कीजिये जिससे आपको आशीर्वाद स्वतः मिल जाए।
आशीर्वाद माँगना कभी भी बुरा नहीं मगर प्रयास और पुरुषार्थ के अभाव में केवल आशीर्वाद का सहारा लेकर सफलता प्राप्त करना अवश्य एक मानसिक संकीर्णता ही है। जिस प्रकार विद्युत अपने आप में बहुत शक्तिशाली आवेग होता है मगर बिना किसी यन्त्र की उपस्थिति अथवा संपर्क में आये बगैर वह निष्क्रिय ही है।
ठीक इसी प्रकार आशीर्वाद भी अपने आप में बहुत शक्ति लिए है मगर पुरुषार्थ के बिना वह भी निष्क्रिय ही है। अतः पुरुषार्थ करना सीखो क्योंकि जहाँ पुरुषार्थ, वहां सफलता और सफल व्यक्ति से भला आशीर्वाद कहाँ दूर है ?
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