Tuesday 24 October 2017

क्या है मानसिक रोग की औषधि..

मार्गदर्शक चिंतन-

जिस प्रकार शरीर की अस्वस्थता शारीरिक रोग कहलाती है, ठीक इसी प्रकार मन की अस्वस्थता भी मानसिक रोग कहलाती है। शारीरिक रोग का निदान तो मानसिक रोग के निदान की अपेक्षा आसान है। कागभुशुण्डी जी गरुड जी को समझाते हुए कहते हैं -

सुनहु तात अब मानस रोगा।
जिन्ह ते दुःख पावहि सब लोगा॥

शारीरिक रोगी तो केवल स्वयं कष्ट भोगता है मगर एक मानसिक रोगी द्वारा सारा समाज ही त्रस्त रहता है। शरीर की कमजोरी, शारीरिक रोग का लक्षण है और विवेक की कमजोरी मानसिक रोग का। 
शास्त्रों का मत है कि प्रभु कथा ही वो महौषधि है जो हमारे मानसिक रोग का समुचित नाश करने का सामर्थ्य रखती है। अतः प्रभु कथा का और श्रेष्ठ व्यक्तियों का आश्रय लो, इससे आपकी व्यथा भी जायेगी और प्रवृत्तियाँ भी सुधरेंगी।

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