Sunday 30 April 2017

क्या है भाग्य और कर्म में अंतर..

मार्गदर्शक चिंतन-

भाग्यवादी अर्थात वे लोग जो यह सोचते हैं कि इस जिन्दगी में जो भी प्राप्त होना होगा हो ही जायेगा। पुरुषार्थवादी अर्थात वे लोग जो यह सोचते हैं और मानते भी हैं कि जिन्दगी में ऊँचा मुकाम किस्मत से नहीं अपितु मेहनत से प्राप्त होता है।
भाग्य आपको ऊँचे कुल में या किसी समृद्ध परिवार जन्म अवश्य दिला सकता है लेकिन जीवन में समृद्धि, उन्नति, सम्मान यह सब केवल परिश्रम से ही सम्भव है।
भाग्य से आपको नाव मिल सकती है मगर बिना पुरुषार्थ किये आप नदी पार नहीं कर सकते। भाग्य एक अवसर है और पुरुषार्थ उसका सदुपयोग। बिना कर्म किये तो भाग्य में लिखा हुआ भी वापिस चला जाता है। परिश्रम ही सफलता की माँग है।
मंजिल तो मिल ही जायेगी भटक कर ही सही।
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं॥



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