मार्गदर्शक चिंतन-
वस्तुयें बुरी नहीं होती, उनका उपयोग बुरा होता है। विवेकवान पुरुष जिस वस्तु का उपयोग अच्छे कार्य के लिए करते हैं वहीँ विवेकहीन पुरुष उसी वस्तु का उपयोग बुरे कार्य के लिए करते हैं।
इस दुनिया में वुद्धि के तीन स्तर पर आदमी जीवन जीता है। उसी के अनुसार कर्म करता है। माचिस की एक तीली से एक विवेकवान जहाँ मन्दिर में दीप जलाकर पूजा करता है, वहीँ अँधेरे में दीया जलाकर लोगों को गिरने से भी बचाता है।
एक सामान्य वुद्धि वाला मनुष्य धूम्रपान के लिए उसका उपयोग करता है। एक कुवुद्धि किसी का घर जलाने के लिए माचिस जलाता है।
माचिस की तीली का कोई दोष नहीं है। दोष हमारी समझ, हमारी वुद्धि का है। अतः कोई भी वस्तु उपयोगी- अनुपयोगी नहीं है, हम अपनी समझ द्वारा उसे ऐसा बना देते हैं।
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