मार्गदर्शक चिंतन-
शुभ कार्यों के लिए भी समय का इंतजार करना यह अच्छी बात नहीं। शुभस्य शीघ्रं का आदेश हमारे शास्त्रों ने हमें दिया है कोई जरूरी नहीं आपके विचार जितने शुद्ध आज हैं वह कल भी रहेंगे। समय की तो छोड़ो विचार भी सदैव आपका साथ नहीं देते हैं।
इसलिए शुभ के लिए विलम्ब नहीं अपितु शुभ को अविलम्ब करना चाहिए। शुभ कार्य का अर्थ मात्र वे कर्म नहीं जिनसे आपको लाभ हो अपितु वे कर्म हैं जिनसे आपका लोक-परलोक सुधर जाता है और आप पुन्य के भागी बनते है। आपके माध्यम से किसी का भला होता है।
चाहने मात्र से शुभ कार्यों का अवसर नहीं मिला करता मगर अवसर मिलने पर उन्हें चाहा अवश्य जा सकता है। अवसर मिले तो शुभ को शीघ्र करो।
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