Sunday 2 April 2017

जीवन में कैसा हो परिवर्तन..

मार्गदर्शक चिंतन-

परिवर्तन संसार का नियम है। जो प्राणी इस नियम को स्वीकार नहीं करता या जिसकी मनः स्थिति इस नियम की समर्थक नहीं, निश्चित ही उस आदमी के जीवन में सुख शांति की फसल नहीं उग पाती। जो बीज अपने अस्तित्व को नहीं मिटाना चाहता, धरती के गर्भ में प्रवेश नहीं करना चाहता, उस बीज की वृक्ष बनने की सम्भावनाएँ नष्ट हो जाती हैं।
परिस्थिति विशेष में अपने को बाँध लेना, परिस्थिति का गुलाम बन जाना आपको कभी भी सुखी नहीं होने देगा। 
अतः परिस्थितियाँ एक जैसी नहीं रहतीं, रात के बाद दिन, पतझड़ के बाद वसन्त और गर्मी के बाद सर्दी जैसे स्वतः ही आ जाती है इसी प्रकार जीवन में दुःख के बाद सुख अपने आप आ जाता है। यहाँ हमेशा सुख ही नहीं मिला करते मगर दुःख और चिन्ताएं भी जीवन में सदैव नहीं रहा करतीं। 

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