Sunday 9 April 2017

जानिए कैसे मिलता है प्रभु कृपा का फल..

मार्गदर्शक चिंतन-

अध्यात्मिक जगत में एक शब्द है "कृपा"। विज्ञान की भाषा में इसे परिभाषित करना संभव नही है। कभी-कभी बहुत कोशिश से भी काम नहीं बनता तब आपने पाया होगा कि जो काम मेंहनत से नही बना अब वह अनायास ही बनने लगा। 
उस प्रभु की कृपा तो सबके ही ऊपर होती हे मगर उसे महसूस क़ोई- कोई कर पाते हैं। अधिकतर वह "आश्चर्य" बनकर ही रह जाती है। नफरत से कुछ नही मिलता मेंहनत से कुछ - कुछ मिलता है और प्रभु की रहमत से सब कुछ मिल जाता है। 
आग्रह से कुछ मिल सकता है मगर अनुग्रह से सब कुछ मिलता है। कभी प्रयास से तो कभी प्रसाद से कई बार बात बन जाती है। इसलिए कर्म तो करते रहो लेकिन प्रभु से प्रार्थना भी करते रहो, अच्छा समय जरूर आयेगा।

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