Monday 3 April 2017

ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना सीखें..

मार्गदर्शक चिंतन-

ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना सीखो। उस ईश्वर ने आपको जो भी और जितना भी दिया है वो आपके कारण नहीं अपितु अपनी करुणा से दिया है। ईश्वर के लेन-देन में कभी फर्क न करना अपितु जो भी आपको मिला उसमें फक्र जरूर करना।
अगर तुम्हारे पास पैरों में पहनने को जूते नहीं तो चिन्ता मत करना क्योंकि इस दुनियाँ में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके पास पैर ही नहीं हैं। अगर तुम्हारे पास हाथों में पहनने को घड़ी नहीं तो चिन्ता मत करना क्योंकि इस दुनियाँ में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके पास हाथ ही नहीं।
तुम दुनियाँ के उन खुशनसीब आदमियों में से हो जिनके पास वो दो हाथ हैं जिनसे सिकन्दर ने दुनियाँ जीती। तुम्हारे पास वो दो पैर हैं जिन पैरों पर चलकर कोलंबस ने अमेरिका की खोज की और तुम्हारे पास वो दो आँखें हैं चक्रवर्ती सम्राट धृतराष्ट्र भी जिनसे वंचित रह गए थे।
अगर अब भी आपकी दृष्टि अभाव की तरफ जाती है तो समझ लेना अब आपके पास सब कुछ है सिवा संतोष के। 

No comments:

Post a Comment