Saturday 22 April 2017

कैसे बचें बुराई से...

मार्गदर्शक चिंतन-

बुरा करना ही गलत नहीं है अपितु बुरा सुनना भी गलत है। अतः बुरा करना घातक है और बुरा सुनना पातक (पाप) है। प्रयास करो दोनों से बचने का।
विचारों का प्रदूषण वो प्रदूषण है जिसे मिटाना विज्ञान के लिए भी संभव नही है। इसका कारण हमारी वो आदतें हैं जिन्हें किसी की बुराई सुनने में रस आने लगता है। बुराई को सुनना, बुराई को चुनना जैसा ही है।
जो हम रोज सुनते हैं, देखते हैं , वही हम भी होने लग जाते हैं। अतः उन लोगों से अवश्य ही सावधान रहने की जरुरत है जिन्हें दूसरों की बुराई करने का शौक चढ़ गया हो।
जैसा करोगे संग- बैसा चढ़ेगा रंग।

तजौ रे मन हरि विमुखन को संग।
जिनके संग कुमति मति उपजे,परत भजन में भंग।

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