Thursday 13 April 2017

तर्क और समर्पण में क्या अंतर है..

मार्गदर्शक चिंतन-

आज आदमी ने बाहरी तौर पर बहुत बड़ी-बड़ी शिक्षाएं ग्रहण कर ली हैं इसलिए वह बहुत ऊँचा तर्कवादी बन गया है। हर बात के पीछे क्यों लगा देना यह तर्कवाद ही तो है। तर्क से किसी को निरुत्तर तो किया जा सकता है मगर तर्क कभी भी किसी प्रश्न का उत्तर नही बन सकता है।
सत्य को देखने की अलग अलग द्रष्टियाँ हैं। इसलिए अपने को तर्कों में न उलझाकर सत्य को स्वीकार कर लेना ज्यादा श्रेष्ठ है। तर्क करने की अपेक्षा जिज्ञासा करना ज्यादा श्रेष्ठ है। तर्क मतलब आप गलत में सही और जिज्ञासा मतलब दूसरे के सत्य को जानने की इच्छा। 
जीवन में कई विवादों की वजह केवल और केवल तर्क है। तर्क का रास्ता नर्क की ओर जाता है और समर्पण का स्वर्ग की ओर। आप किस रास्ते पर चल रहे हो ? स्वयं विचार कीजिये।

No comments:

Post a Comment