Wednesday 26 April 2017

कैसे बनाएं दूसरों के दिल में जगह..

मार्गदर्शक चिंतन-

आज हमने इमारतें तो खूब ऊँची-ऊँची बना ली हैं मगर हमारा मन बहुत छोटा हो गया है। निसंदेह आज का युग एक प्रतिस्पर्धा का युग है और ऊँचे मकानों की प्रतिस्पर्धा में आज ऊँचे मानवों का निर्माण अवरूद्ध हो गया है। आज हमने घरों की दीवारें ही बड़ी नहीं कर दी हैं अपितु दिलों की दूरियाँ भी बड़ी कर ली हैं।
कैसे भी हो सुख संपदा होनी चाहिए ? भले उसके लिए हमें कितनों को भी कष्ट पहुँचाना पड़ जाये। हमारे अन्दर से आवाज आनी ही बंद हो गई कि यह गलत है और यह सही। अपने दिल को इतना बड़ा बनाओ कि उसमें अपने पराए सब समां जायें। अपने कद को इसलिए ऊँचा न बना लेना कि सब आपको देख सकें अपितु इसलिए ऊँचा बना लेना कि आप सबको देख सकें।
बहुत ही आसान है जमीं पर मकान बना लेना।
दिल में जगह बनाने में,जिंदगी गुजर जाया करती है॥

दिल में बने रहना ही सच्ची शौहरत है।
वरना मशहूर तो,कत्ल करके भी हुआ जा सकता है॥

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