Wednesday 31 May 2017

जानिए क्या है जीवन में अशांति का कारण..

मार्गदर्शक चिंतन-

सत्य को जानने की पहली शर्त है खुद को जान लेना। खुद को जाने बिना परम की यात्रा हो ही ना पायेगी। खुद को जानने का अर्थ है (अन्तर्मुखी) हो जाना, माने - अपने भीतर झाँकना। सदियों से इंसान बहिर्मुखी जीवन ही जीता जा रहा है। 
इंसान को सबके दोषों के बारे में खबर है पर आश्चर्य है कि ना तो उसे खुद के दोषों के बारे में पता है और ना ही वह जानने को उत्सुक है। तुम जगत में किसी को भी जानने का प्रयत्न मत करो बस खुद को जानो। अशांति - विषाद का कारण ही यही है कि भीतर गंदगी भरी पड़ी है और तुमने दूर करने का प्रयत्न भी नहीं किया है। 
भीतर की पवित्रता ही परमात्मा की प्राप्ति की दिशा है। याद रखना जो भी परमात्मा की दिशा के प्रतिकूल जाता है वह एक दिन नष्ट हो जाता है। जो भी परमात्मा की और बढ़ता है वह आनन्द की अनुभूतियाँ, आंतरिक सौन्दर्य और अमृत से पूरी तरह भर जाता है। अन्तर्मुखी साधक को ही सत्य उपलब्ध होता है।

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