मार्गदर्शक चिंतन-
इंसान चाँद पर तो पहुँच गया पर भाई के घर तक नहीं पहुँच सका। हम अन्तरिक्ष में उड़ना सीख गए , समुद्र में तैरना सीख गए मगर जमीन पर रहना भूल गए। हमने इमारतें बड़ी बना लीं पर दिल छोटा कर लिया।
हमने रास्ते चौड़े कर लिए पर देखने का नजरिया छोटा कर लिया। हमने साधन कई गुना बढ़ा लिए पर अपना मुल्य कम कर लिया। हमने ज्यादा बोलना सीख लिया पर प्रिय बोलना छोड़ दिया।
हमारे पास बिचार तो बहुत आ गए पर आचार (आचरण) चला गया। 21वी सदी में प्रगति के साथ हमारी दुर्गति भी हूई है। हम धरती के लोग हैं, हमारा स्वर्ग यहीं है ओर जीते जी है। कृपया नित्य भगवद चिंतन करके इसे आनंदमय बनायें।
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