Thursday 7 September 2017

जीवन का सत्य क्या है...

मार्गदर्शक चिंतन-

सत्य को सुनना ही पर्याप्त नहीं होता अपितु सत्य को चुनना भी जरुरी है। सत्य की चर्चा करना एक बात है और सत्य का चर्या बन जाना एक बात है। आदर्शों का वाणी का आभूषण मात्र बनने से कल्याण नहीं होता, आदर्श आचरण के रूप में घटित हों, तव कल्याण निश्चित है।
क्या मिश्री का स्मरण करने मात्र से मुँह में मिठास घुल जायेगी ? मिश्री का आस्वादन करना पड़ेगा। प्यास तो तभी बुझती है जब कंठ में शीतल जल उतर जाए। यद्यपि परमात्मा के नाम की ऐसी दिव्य महिमा है कि वह स्मरण मात्र से भी कल्याण करने में समर्थ है। 
भगवान राम और कृष्ण इसलिए आज तक हर घर में और ह्रदय में विराजमान हैं क्योंकि उन्होने आदर्शों को, मूल्यों को अपने जीवन में उतारा। दुनिया का सबसे प्रभावी उपदेश वही होता है जो जीभ से नहीं जीवन से दिया जाता है। सत्य से प्रेम मत करो, मै तो कहूँगा कि प्रेम ही आपके जीवन का सत्य बन जाए।

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