Monday 25 September 2017

जानिए कैसी हो आपकी सोच..

मार्गदर्शक चिंतन-

इस दुनियाँ का प्रत्येक आदमी इस मनस्थिति में जीता है कि मैं इस दुनियाँ का सबसे समझदार व्यक्ति हूँ। मेरे द्वारा संपन्न प्रत्येक कर्म शुभ व श्रेष्ठ है और इस दुनियाँ को सबसे बेहतर ढंग से चला सकता हूँ तो वह केवल मैं ही हूँ।
इसी मनोदशा में जीने वाले रावण ने माँ जानकी का ही हरण कर लिया, धृतराष्ट्र ने दुर्योधन के रूप में अनीति का वरण कर लिया और दुस्शासन ने अपने ही कुल की मान मर्यादाओं का क्षरण कर दिया व कंस ने अपने ही हाथों अपने भांजों का मरण कर दिया।
इस महान भारत में कभी भी महाभारत न हुआ होता अगर मनुष्य इन मनोवृत्तियों का दासत्व स्वीकार नहीं करता। अत: अपनी मनोदशा को सदा सर्वदा उच्च रखने का प्रयत्न करो ताकि आपका जीवन उचित दिशा की और अग्रसर हो सके।

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