नवरात्र , सिर्फ़ नौ रातें नहीं अपितु जीवन की नवीन अथवा नई रात्रियाँ भी हैं। जीवन में काम, क्रोध, लोभ, मोह व अंधकार का समावेश ही घनघोर रात्रि के समान है जिसमें प्रायः जीव सही मार्ग के अभाव में भटकता रहता है। हमारे शास्त्रों में अज्ञान और विकारों को एक विकराल रात्रि के समान ही बताया गया है।
इन दुर्गुण रूपी रात्रि के समन के लिए व जीवन को एक नई दिशा, उमंग, नया उत्साह देने की साधना और प्रक्रिया का नाम ही नवरात्र है। माँ दुर्गा साक्षात ज्ञान का ही स्वरूप है ओर नवरात्र में माँ दुर्गा की उपासना का का अर्थ ही ज्ञान रूपी दीप का प्रज्ज्वलन कर जीवन के अज्ञान के तिमिर का नाश करना है।
नवरात्र के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री अर्थात पर्वत राज हिमालय की कन्या के रूप में जन्मी माँ पार्वती का पूजन किया जाता है।
इन दुर्गुण रूपी रात्रि के समन के लिए व जीवन को एक नई दिशा, उमंग, नया उत्साह देने की साधना और प्रक्रिया का नाम ही नवरात्र है। माँ दुर्गा साक्षात ज्ञान का ही स्वरूप है ओर नवरात्र में माँ दुर्गा की उपासना का का अर्थ ही ज्ञान रूपी दीप का प्रज्ज्वलन कर जीवन के अज्ञान के तिमिर का नाश करना है।
नवरात्र के प्रथम दिन माँ शैलपुत्री अर्थात पर्वत राज हिमालय की कन्या के रूप में जन्मी माँ पार्वती का पूजन किया जाता है।
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