सम्प्रदाय और
धर्मग्रंथों में विशिष्ट
स्थान है। पुराणों के
अनुसार
ये पाँच कन्याएँ विवाहित होते
हुए भी पूजा के योग्य
मानी गई
हैं।
अहल्या
द्रौपदी तारा कुंती मंदोदरी
तथा।
पंचकन्या: स्मरेतन्नित्यं महापातकनाशम्॥
इन
पाँचों कन्याओं के नाम इस
प्रकार हैं:
-
1.अहिल्या
2.द्रौपदी
3.कुंती
4.तारा
5.मंदोदरी
“कन्या
का अर्थ पारंपरिक ‘वर्जिनिटी’
से कतई नहीं है,
अकेले
होने और उसकी चुनौतियों का
सामना करने से है”।
1.इनमें
पहली हैं अहिल्या। अहिल्या
को चिर-यौवन
का
वरदान था अर्थात वो हमेशा
16
साल
की ही रहने वाली थीं।
गौतम ऋषि
से उनका विवाह हुआ पर इंद्र
की उनपर बुरी
नजर थी। एक दिन
मौका पाकर इंद्र ने गौतम ऋषि
का रूप
लेकर अहिल्या से अपना
प्रेमाग्रह किया जो अहिल्या
ने
अनजाने में मान लिया। इसके
फलस्वरूप उसे पत्थर की
होने
का श्राप मिला। इसके बावजूद
अहिल्या ने अपनी
पवित्रता
साबित की और राम के चरण स्पर्श
से उसकी गति
हुई और वो गौतमी
या गोदावरी नदी के रूप में
बहने लगी।
2.
दूसरी
है मंदोदरी जो की राक्षस राज
रावण की पत्नी थी।
रावण की मौत
के बाद उसने विभीषण से शादी
कर ली जो
उसका देवर था। रावण
जब सीता को हर कर लंका लाए तो
मंदोदरी ने इसका कड़ा विरोध
किया। मंदोदरी को रावण की
महिलाओं के प्रति आसक्ति की
कमजोरी पता थी। बावजूद
इसके
वह रावण से बहुत प्यार करती
थी। मंदोदरी ने ही
सीता को
श्राप दिया था कि वह अपने पति
द्वारा त्याग दी
जाएगी।
3.
पंचकन्या
में तीसरी आदर्श स्त्री है-
तारा,
जो
वानर राज
बाली की पत्नी थी।
बाली के मर जाने के धोखे में
उसने
सुग्रीव से शादी कर ली
लेकिन जब बाली आया तो उसने उसे
फिर हथिया लिया। लेकिन श्रीराम
द्वारा बाली को मारे
जाने के
बाद तारा ने दोबारा सुग्रीव
को अपना लिया। इसके
बाद भी
तारा ने बाली की मौत पर विलाप
किया था तब
श्रीराम ने उसे
प्रवचन दिया और उसका मोह जाता
रहा।
लेकिन तारा ने सुग्रीव
और बाली दोनों का साथ दिया।
4.
पंचकन्या
की चौथी आदर्श स्त्री है-
कुंती,
जो
पांडवो की
मां थी। कुंती ने
दुर्वासा ऋषि की सेवा की और
बदले में
वशीकरण मंत्र पाया
जिससे वह किसी भी देवता के
आह्वान
कर पुत्र प्राप्ति
में सक्षम थी। कुंती ने शादी
से पहले सूर्य का
आह्वान किया
और कर्ण के रूप में पुत्र पाया
जिसे उसने
पानी में बहा दिया
था। जब पांडु को महिला से संबंध
के
दौरान मौत होने का श्राप
मिला तो इसी मंत्र के जरिए
कुंती
ने देवताओ का आह्वान
कर 5
पुत्र
पाए। इन सबके बाद भी
वह एक आदर्श
पत्नी और मां साबित हुई।
- पांचवी और आखिरी पंचकन्या है द्रौपदी। द्रौपदी के पांच पति थे। इसके बावजूद आजीवन उनका कौमार्य बना रहा। इसीलिए उन्हें कन्या कहा जाता था नारी नहीं। वेद व्यास ने द्रौपदी को आशीर्वाद दिया था कि वह एक-एक वर्ष के लिए सभी पांडवों के साथ रहेंगी और जब वह एक भाई से दूसरे भाई के पास जाएगी, तो उसका कौमार्य दोबारा वापस आ जाएगा। दुश्शासन द्वारा किए गए अपमान का द्रौपदी ने जो बदला लिया वो महिलाओ के लिए आज भी एक आदर्श है।
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