Thursday 19 January 2017

जानिए कैसे सिद्ध होगा श्रीयंत्र..घर-व्यापार स्थान पर होगी धन वर्षा...

क्या है श्रीयंत्र का रहस्य..

श्री चक्र एक यन्त्र है जिसका प्रयोग श्री 
विद्या में होता है। इसे 'श्री चक्र', 'नव चक्र' और 'महामेरु' भी कहते हैं। यह सभी यंत्रो में शिरोमणि है और इसे 'यंत्रराज' कहा जाता है। वस्तुतः यह एक एक जटिल ज्यामितीय आकृति है। इस यंत्र की अधिष्ठात्री देवी भगवती त्रिपुर सुंदरी हैं। श्री यंत्र की स्थापना और पूजा से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। नवरात्रि, धनतेरस के दिन श्रीयंत्र का पूजन करने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं।

1-
श्री यंत्र के केन्द्र में एक बिंदु है। इस बिंदु के चारों ओर 9 अंतर्ग्रथित त्रिभुज हैं जो नवशक्ति के प्रतीक हैं। इन नौ त्रिभुजों के अन्तःग्रथित होने से कुल ४३ लघु त्रिभुज बनते हैं।

2-
श्री यन्त्र को सर्वप्रथम आदि शंङ्कराचार्य जी ने बनाया था

3-
इस यन्त्र में अद्दृश्ये रूप से २८१६ देवी देवता विद्धमान है

4-श्री यन्त्र तीनो लोको का प्रतीक है इसलिए इसे त्रिपुर चक्र भी कहा जाता है

5-
श्री यन्त्र का स्वरुप मनोहर व् विन्यास विचित्र है इसके बीचो बीच बिंदु और सबसे बाहर भूपुर है भूपुर के चारो और चार द्वार है बिंदु से भूपुर तक कुल दस अवयव है -बिंदु, त्रिकोण, अष्टकोण, अंतर्दशार, बहिदारशर, चतुर्दर्शार, अष्टदल, षोडशदल, तीन वृत, तीन भूपुर

कैसे करें श्रीयंत्र को सिद्ध-

श्री यंत्र की आराध्या देवी श्री त्रिपुर सुन्दरी देवी मानी जाती हैं। पौष मास की सक्रांति के दिन और वह भी रविवार को बना हुआ श्रीयंत्र बेहद दुर्लभ और सर्वोच्च फल देने वाला होता है, लेकिन ऐसा ना होने पर आप किसी भी माह की सक्रांति के दिन या शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन इस यंत्र का निर्माण कर सकते हैं। यह यंत्र ताम्रपत्र (तांबे की प्लेट), रजतपत्र या स्वर्ण-पत्र पर ही बना होना चाहिए।

श्रीयंत्र का महामंत्र-

1-
श्रीयंत्र की पूजा के लिए लक्ष्मी जी के बीज मंत्र "ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये
 प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊं महालक्ष्मै नम:" का प्रयोग करें।

2-
स्फटिक के श्री यन्त्र को शंख से श्री सूक्त पढ़ते हुए पंचाम्रत अभिषेक करने से अतुल वैभव के प्राप्ति होती है

इस यंत्र को अपनाने से समस्त सुख व समृद्धि प्राप्त होती है. निर्धन धनवान बनता है और अयोग्य योग्य बनता है. इसकी उपासना से व्यक्ति कि मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस यंत्र को समस्त यंत्र में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है.

स्फटिक श्री यंत्र ऎश्वर्यदाता और लक्ष्मीप्रदाता है. यह यंत्र आय में वृद्धि कारक व व्यवसाय में सफलता दिलाने वाला होता है. आज के समय में स्थाई धन की अभिलाषा सभी के मन में देखी जा सकती है. अधिकतर व्यक्ति कितना भी कमाएं परंतु धन उनके पास जमा नहीं हो पाता व्यय बने ही रहते हैं. धन का संचय कर पाना कठिन काम हो जाता है.

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