Sunday 15 January 2017

कैसे कर्मों से होगा सुंदर चरित्र का निर्माण..

मार्गदर्शक चिंतन-

ऐसे कर्म न करो जिससे कि आपको दूसरों की नजरों से गिरना पड़े क्योंकि पहाड़ से गिरकर फिर उठा जा सकता है मगर नजरों से गिरकर उठना आसान नहीं।
जिस प्रकार महल बनाने में वर्षों लग जाते हैं मगर उसे ध्वस्त करने के लिए एक क्षण पर्याप्त होता है। ठीक इसी प्रकार चरित्र निर्माण में तो वर्षों लग जाते हैं मगर चरित्र के पतन होने में भी एक क्षण मात्र लगता है।
हर कार्य को करने से पहले उसके परिणाम का विचार कर लेना यह बुद्धिमानों का लक्षण है। और कार्य कर लेने के बाद परिणाम पर विचार करना मूर्खों का। अत: परिणाम के बाद नहीं अपितु कार्य करने के पहले सोचने की आदत बनाओ। ताकि आपकी गिनती भी बुद्धिमानों में हो सके।

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