(१.)
यज्ञ
प्रकृति के सन्तुलन को बनाए
रखने में सहायक है ।
(२.)
यह
मानसिक प्रदूषण को रोकता है
। यह शिवसंकल्प ,
विचार
-
शुद्धि
,
सद्भाव
,
शान्ति
और नीरोगता प्रदान करके मानसिक
और बौद्धिक रोगों को दूर करता
है ।
(३.)
सस्वर
मन्त्र पाठ से और सामगान से
मानसिक शान्ति मिलती है ।
(४.)
यज्ञ
से प्रदूषण दूर होता है और
आॅक्सीजन का प्रसार होता है
,
कार्बन
डायआॅक्साइड दूर होता है ।
(५.)
यज्ञ
वायु को शुद्ध करता है । इसके
धूएँ से चेचक,
क्षय,
हैजा
आदि रोगों के कीटाणु नष्ट होते
हैं ।
(६.)
भैषज्य
यज्ञ ऋतुपरिवर्तन के समय होने
वाले दूषित तत्त्वों को नष्ट
करते हैं ।
(७.)
यज्ञ
से रोगों की चिकित्सा भी की
जाती है । जैसे यक्ष्मा (तपेदिक
)
, ज्वर
,
गठिया
,
कण्ठमाला
(गण्डमाला)
आदि
।
(८.)
अथर्ववेद
(३/११/२)
के
अनुसार मरणासन्न व्यक्ति को
यज्ञ से बचाया जा सकता है ।
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