जानें, कहां हुआ था
भगवान श्रीराधाकृष्ण का
विवाह
अक्सर
लोगों के मन में यह प्रश्न बना
रहता है कि भगवान कृष्ण का
श्रीराधा जी के साथ विवाह हुआ
था कि नहीं। प्रमाण के आधार
पर गर्ग सहिंता,
गीत
गोविंद और ब्रह्मवैवर्त पुराण
के श्रीकृष्ण जन्म खंड के 13
वें
अध्याय में इन दोनों के विवाह
का वर्णन मिलता है।
भगवान
श्रीराधाकृष्ण का विवाह ब्रज
में ही संपन्न हुआ था।
श्रीराधा-कृष्ण
के विवाह सम्बन्ध का साक्षी
है भांडीरवन। भाण्डीर वन में
भाण्डीरवट के नीचे ही श्रीकृष्ण
और श्रीराधाजी का विवाह संस्कार
पूर्ण हुआ था। मथुरा की मांट
तहसील के छाहेरी गांव से
भांडीरवन का रास्ता गया है।
इस वन में स्वयं ब्रह्मा जी
ने वैदिक मंत्रोच्चारण के
साथ श्रीराधाकृण का विवाह
संस्कार पूर्ण कराया था।
भांडीरवन में वन बिहारी जी
के दर्शन मिलते हैं।.
श्रीमदभागवत
महापुराण सहित अनेक ग्रंथों
में भगवान कृष्ण की अष्टायाम
लीला के माध्यम से 8
विवाह
का वर्णन मिलता है। यानि भगवान
कृष्ण की 8
पटरानी
थी। साथ ही वर्णन मिलता है कि
उनकी 16
हजार
108
रानियां
थीं। शास्त्रों में भगवान
कृष्ण की आल्हादिनी शक्ति के
रुप में श्रीराधा जी को बताया
गया है। यानि भगवान श्रीराधाकृष्ण
दो देह एक प्राण थे। शास्त्र
तो यहां तक कहते हैं कि भगवान
कृष्ण का श्रीराधा जी के बिना
और श्रीराधाजी का भगवान कृष्ण
के बिना ध्यान करना भी महापाप
है।
भगवान
श्रीकृष्ण के नाम के आगे जो
श्री शब्द लगा है। वही राधा
जी का स्वरुप है। यानि जब आप
श्रीकृष्ण बोलते हैं तब
राधाकृष्ण दोनों का ही भजन
होता है। दोनों का ही ध्यान
करना चाहिए। भगवान कृष्ण स्वयं
अपने श्रीमुख से श्रीराधाजी
की महिमा का गुणगान करते हैं।
राधा
राधा नाम को सपनेहूँ जो नर
लेय।
ताको मोहन साँवरो रीझि अपनको देय।।
ताको मोहन साँवरो रीझि अपनको देय।।
भगवान
श्रीकृष्ण कहते हैं कि राधा
नाम मुझे सबसे अधिक प्रिय है।
राधा शब्द कान में पड़ते ही
मेरे हृदय की संपूर्ण कलियां
खिल उठती हैं। कोई भी मुझे
प्रेम से राधा नाम सुनाकर अपना
बना सकता है। श्रीराधा जी
सदा-सर्वदा
मेरे हृदय में निवास करती हैं।
जो लोग श्रीराधाजी के नाम का
उच्चारण करते हैं,
मैं
न सिर्फ उनके सभी मनोरथ पूर्ण
कर देता हूं बल्कि वह भक्त
मेरा प्रिय हो जाता है।
राधा
तुम बड़ भागिनी,
कौन
तपस्या कीन
तीन लोक तारण तरण सौ तेरे आधीन
तीन लोक तारण तरण सौ तेरे आधीन
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