Thursday 23 March 2017

कैसे करें मान-अपमान पर विचार..मान-अपमान पर सोचने वाले होते हैं बेचारे..

मार्गदर्शक चिंतन-

मान-अपमान जीवन की कसौटी है, परीक्षा है। आज हमारी आन्तरिक स्थिति बड़ी नाजुक हो गई है। किसी कार्यक्रम में चले जाने पर आज हम अपने आप नहीं बैठ सकते। हमें दो आदमी चाहियें जो हाथ जोड़कर और हाथ पकड़कर हमें बिठा दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर हम तनाव (टैंशन) में आ जाते हैं और कई दिन तक ये तनाव बना रहता है कि किसी ने हमें बैठने तक को नहीं कहा।
क्या है अपमान ? किसी व्यक्ति की वह व्यक्तिगत कल्पना जिसमें वह दूसरों से वेवजह सम्मान की चाह रखता है और उस चाह का पूरा ना होना ही अपमान कहलाता है। अपेक्षा की उपेक्षा का ही तो नाम अपमान है। हमें दूसरों से कम अपनी सोच से ज्यादा अपमानित होना पड़ता है।
किसी ने नमस्कार ना कर हमारा अपमान कर दिया, यह सिर्फ हमारी सोच है। उसने तुम्हारा अपमान नहीं किया, उस बात को बार-बार सोचकर तुम खुद अपना अपमान करते हो। 
जो लोग मान और सम्मान पर ज्यादा विचार करते हैं वही तो बेचारे कहलाते हैं। अतः अपनी सोच का स्तर ऊपर उठाकर मान-अपमान से मुक्त होकर प्रसन्नता के साथ जिन्दगी जीओ।

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