Sunday 19 March 2017

स्वयं से लड़ना सीखें..फिर देखें क्या हासिल होगा..

मार्गदर्शक चिंतन-

हारना तब आवश्यक हो जाता है जब लड़ाई अपनों से हो और जीतना तब आवश्यक हो जाता है जब लड़ाई अपने से हो। अपनों से जीत जाना एक सजा है और अपने को जीत जाना एक मजा। आपकी वो जीत किसी काम की नहीं जो अपनों को हराने के बाद प्राप्त हुई है और आपकी वो हार भी जीत है जो अपनों के लिए स्वीकार करली जाती है।
इस दुनिया में अगर लड़ने लायक कोई है तो वो आप स्वयं हो। जो व्यक्ति स्वयं से लड़ना सीख जाता है, निश्चित ही वह अन्य लड़ाईयों से, व्यर्थ के झंझटों से और दुनिया की तकलीफों से बच निकलता है।
अपनी उस विचारधारा से लड़ो जो अपनों से मेल नहीं खाती, अपने उस अहंकार से लड़ो जो अपनों के सामने झुकने नहीं देता और अपनी उन कमजोरियों से लड़ो जो तुम्हें अपनों के सामने कमजोर बना रही हैं।

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