Friday 31 March 2017

जानिए भगवान के चरणों में कौन-कौन से चिन्ह हैं..

भगवान के चरण-चिह्नों का परिचय
पद्मपुराण के अनुसार–भगवान के चरणों में कमल, वज्र, अंकुश, चक्र, गदा, यव तथा ध्वजा आदि के चिह्न अंकित हैं। भगवान अपने दाहिने पैर के अँगूठे की जड़ में भक्तों को संसार-बंधन से मुक्त करने के लिए चक्र का चिह्न धारण करते हैं। मध्यमा अँगुली के मध्यभाग में भगवान श्रीकृष्ण ने अत्यन्त सुन्दर कमल का चिह्न धारण कर रखा है; उसका उद्देश्य है–ध्यान करने वाले भक्तों के चित्तरूपी भ्रमर को लुभाना। कमल के नीचे वे ध्वज का चिह्न धारण करते हैं, जो मानो समस्त अनर्थों को परास्त करके फहराने वाली ध्वजा है। कनिष्ठिका अँगुली की जड़ में वज्र का चिह्न है, जो भक्तों की पापराशि को विदीर्ण करने वाला है। पैरों के पार्श्व-भाग में बीच की ओर अंकुश का चिह्न है, जो भक्तों के चित्तरूपी हाथी का दमन करने वाला है। भगवान श्रीकृष्ण अपने अंगूठे के पर्व में भोग-सम्पत्ति के प्रतीक रूप यव (जौ) का चिह्न धारण करते हैं तथा मूल-भाग में गदा की रेखा है, जो मनुष्यों के पापरूपी पर्वत को चूर्ण कर देने वाली है। इतना ही नहीं वे अजन्मा भगवान सम्पूर्ण विद्याओं को प्रकाशित करने के लिए पद्म आदि चिह्नों को भी धारण करते हैं। दाहिने पैर में जो चिह्न हैं, उन्हीं चिह्नों को प्रभु अपने बाये पैर में भी धारण करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के चरण-कमलों का ध्यान सदैव करते रहना चाहिए।
पुष्टिमार्ग के आराध्य श्रीनाथजी के चरण-कमल
पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक श्रीमद्वल्लभाचार्यजी ने आज्ञा की है कि मन की चंचलता का विनाश भगवद्चरणारविन्दों के सेवन से ही संभव है। जो ठाकुरजी की सेवा प्रेमपूर्वक करते हैं उनके मन की चंचलता मिट जाती है और पापों का क्षय होता है। भगवान के चरण-कमलों के प्रताप से ही उनके सेवकों का मन भटकता नहीं है। ब्रह्मादिदेव जिनके चरणारविंद में सदा प्रणाम करते हैं और चरणरज की कामना करते हैं ऐसे श्रीनाथजी के चरण-कमल भक्तों के मनोरथ पूर्ण करते हैं।

No comments:

Post a Comment