Sunday 5 March 2017

कैसे रखें परिवार को एकजुट...

मार्गदर्शक चिंतन-

मिट्टी से ना दीवारों से,घर बनता है घर वालों से।
वर्तमान समय में आपसी रिश्ते जिस तरह टूट रहे हैं वह बड़ा विचारणीय है। जिस परिवार में अपनों से बड़ों को सम्मान नहीं दिया जाता और अपने से छोटों को प्यार तो वह फिर परिवार न होकर मात्र एक मकान रह जाता है। आपके बुजुर्ग शोभा हैं आपके घर-परिवार की, इसलिये उन्हें यथायोग्य सम्मान देना आवश्यक है। 
स्वयं की भूमिका अदा ना कर मात्र दूसरों से अपेक्षा रखना यही तो तनाव का प्रमुख कारण बन रहा है। आज के आदमी की सामाजिकता की वास्तविकता तो देखो कि फेसबुक पर उसके फ्रेंड्स की संख्या 5000 हो गई, पर कमाल की बात घर में सबसे बोलचाल बंद है। घर में कोई मित्र नहीं सबको शत्रु बना रखा है। 
क्लबों में जाकर लोग भाईचारा बढ़ा रहे हैं साथ में सगे भाई पर केस भी कर रहे हैं। 21वी सदी में हमारी प्रगति हुई है या दुर्गति, आप स्वयं सोचो।
यूँ तो आदमी पहुँच गया चाँद तक।
पर ना पहुँच सका भाई के घर तक॥

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