Wednesday 29 March 2017

जानिेए भाग्य और कर्म में क्या संबंध है..

मार्गदर्शक चिंतन-

आज का आदमी मेहनत में कम और मुकद्दर में ज्यादा विश्वास रखता है। आज का आदमी सफल तो होना चाहता है मगर उसके लिए कुछ खोना नहीं चाहता है। वह भूल रहा है कि सफलताएँ किस्मत से नहीं मेहनत से मिला करती हैं। 
किसी की शानदार कोठी देखकर कई लोग कह उठते हैं कि काश अपनी किस्मत भी ऐसी होती लेकिन वे लोग तब यह भूल जाते हैं कि ये शानदार कोठी, शानदार गाड़ी उसे किस्मत ने ही नहीं दी अपितु इसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत रही है। मुकद्दर के भरोसे रहने वालों को सिर्फ उतना मिलता है जितना मेहनत करने वाले छोड़ दिया करते हैं।
किस्मत का भी अपना महत्व है। मेहनत करने के बाद किस्मत पर आश रखी जा सकती है मगर खाली किस्मत के भरोसे सफलता प्राप्त करने से बढ़कर कोई दूसरी नासमझी नहीं हो सकती है।
दो अक्षर का होता है "लक", ढाई अक्षर का होता है "भाग्य", तीन अक्षर का होता है "नसीव" लेकिन चार अक्षर के शब्द मेंहनत के चरणों में ये सब पड़े रहते हैं।

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