Tuesday 6 June 2017

जीवन में हर दिन हर पल कर्महीन जीवन मत जियो..

मार्गदर्शक चिंतन-

एक क्षण के लिए भी कर्महीन जीवन मत जियो कुछ कर्म अपने जीवन को आगे बढ़ाने के लिए करो। कुछ कर्म अपनों को आगे बढ़ाने के लिए करो। और कुछ कर्म समाज के लिए करो , ये कर्म सत्कर्म कहलाते हैं। 
किसी-किसी दिन कर्महीन रहने पर तुम्हें पता है कि कितनी नई चीजें सृष्टि में आगे बढ़ जाती है। कई नए बीज मिटटी में मिलकर अंकुरित होकर पेड़ बनने की और बढ़ जाते हैं। कई फूल काँटों के बीच रहकर प्रकृति को सौन्दर्य युक्त बनाने के लिए खिल पड़ते है। 
कई परमार्थी चित्त आत्म- प्रेरित होकर स्वार्थ की बेड़ियों को तोड़कर परमार्थ पर चल पड़े होंगे। कई हृदयों के तारों पर ईस्वर भक्ति का संगीत झंकृत हो चुका होगा। कई मानव देव बनने की राह पर चल पड़े होंगे। 
मै कई बार सोचता हूँ कि आपने और मैंने जीवन का एक महत्वपूर्ण दिन और क्षण फिर नष्ट कर दिया। आलस्य की शैया पर पड़े-पड़े समय को आज अपने हाथों से और आपके हाथों से फिर निकलता हुआ देख रहा हूँ।

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