Monday 12 June 2017

पाप मुक्त होने का सूत्र..

मार्गदर्शक चिंतन-

परम भागवतकार श्रीधर स्वामी जी ने भागवत जी पर टीका करते समय एक अदभुत बात कही है। संसार में सब हमारे मित्र बन जाये यह किन्चित सम्भव नहीं है लेकिन कोई हमारा शत्रु ना बनें, यह प्रयास किया जा सकता है। 
हमारे मुख से सबके लिए प्रशंसा के शब्द ना निकलें कोई बात नहीं, पर हमारे मुख से किसी की निंदा ना हो, यह तो किया जा सकता है। आप किसी को अपनी थाली में से रोटी निकलकर नहीं खिला सकते तो किसी के निवाले को छीनने वाले भी ना बनो। 
अगर हमसे पुन्य नहीं बनें तो पाप ना हो, ऐसा प्रयत्न जरूर करें। आप सत्य नहीं बोल सकते तो असत्य ना वोलने का संकल्प लें। भगवद अनुग्रह प्राप्त करने की प्रथम शर्त है पापमुक्त जीवन से जापयुक्त हो जाना। विकार से विचार की यात्रा , विषय से वसुदेव के मार्ग पर चलने वाला ही सत्य की अनुभूति कर सकता है।

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