मार्गदर्शक चिंतन-
केवल राम-राम जपने से ही कोई राम का प्रिय नहीं बन जाता। राम जैसा जीवन जीकर ही राम का प्रिय बना जा सकता है। अयोध्या की सत्ता अगर वो स्वीकार कर लेते तो राजा राम बन जाते पर सत्ता को ठोकर मारकर वो हर दिल के राजा बन गए ।
पूरी दुनिया में राम जैसा व्यक्तित्व आज तक नहीं हुआ। अच्छे शासक का यही तो गुण होता है दुखी - पीड़ितों के द्वार पर स्वयं पहुँच जाये। अच्छा पुत्र वही तो होता है जो पिता के सम्मान की रक्षा के लिए वन-वन जाने को तैयार हो जाता है। अच्छे भाई का यही तो गुण होता है जो अपने भाई को सुख देंने के लिए स्वयं सुखों को छोड़ दे।
एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श शिष्य, आदर्श मित्र, आदर्श राजा सब गुण श्रीराम के भीतर थे। उनका एक भी गुण आपके भीतर आ जाये तो समझना आपने रामायण पूरी पढ़ ली। पर करुणा यह है कि आज लोग राम को मानते हैं पर राम की नहीं मानते।
धर्म
क्या है ?
भगवान्
राम के सम्पूर्ण जीवन को देख
लो,
समझ
आ जायेगा।
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