मार्गदर्शक चिंतन-
नम्रता भक्ति के लिए बहुत आवश्यक है। सबमे प्रभु हैं ये बात संतो के श्री मुख से उपदेश सुन-सुनकर जब ह्रदय में बैठ जायेगी तब किसी के प्रति कठोरता हम कर ही नहीं पाएंगे। प्रभु को सहजता, सरलता, निर्मलता और नम्रता विशेष प्रिय है।
नम्र और विनम्र व्यक्ति के प्रति तो दुनिया में भी सब सदभाव रखते हैं। व्यक्ति जितना गुणवान होगा उतना ही विनम्रवान भी होगा। ज्ञान सरलता की ओर ही ले जाता है। जो अकड़ पैदा करे वो तो अज्ञान है।
तुम क्या हो ? ये किसी से कहने की, चिल्लाने की, प्रभाव दिखाने की कोई जरुरत नहीं है। तुम वास्तव में क्या हो ? स्वभाव और सरलता ही बहुत है ये बताने के लिए। खुशवू को कितना भी छिपाओ वो छिपती नहीं हैं
कुछ
ऐसे फूल भी हैं जिन्हें मिला
नहीं माहौल
महक रहे हैं मगर जंगलों में रहते हैं॥
महक रहे हैं मगर जंगलों में रहते हैं॥
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